Friday, February 18, 2011

.. .ना हो I

हर इक सुबह की शाम ना हो,
कोई कही गुमनाम हो I
जो खुशियाँ चाहो हो जीवन में,
माथे पे शिकन निशान ना हो II

हों तारे की मुट्ठी बंद ना हो,
मेरे चाँद को कोई गैर पसंद ना हो I
मै छाऊं, आसमां बन जाऊं,
कहीं धड़कन मेरी मंद न हो II

मेरे प्यार का अर्पन दान ना हो,
तेरे चाह का मुझपे अहसान ना हो I
तू खुल क दिल से ख्वाहिस कर,
पर औरों  को इसका ज्ञान ना हो I

खुशियों का धूमिल रंग ना हो ,
चाहे कोई भी अपने संग ना हो I
तू चलना पग-पग छितिज तलक,
पर रहें मंजिल की तंग ना हो I

डर है सपनों का खंड ना हो ,
इस प्रीत का जीवन चाँद ना हो I
मैं पलकों पे सबकुछ सजा लूँ ,
कहीं नजरों का ताकना बंद ना हो I
............सांसो का चलना बंद ना हो....III

 

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