KRITIYAN
Friday, February 18, 2011
ख्वाहिश ..
जो टूटे....
जो बिखरे....
जो बने ना....
सिर्फ बिगड़े....
चलो उस रेत और हवा को मना लू ,
एक छोटा....
संग तेरे....
घर सपनो का....
उस रेत पे बना लू...
तुझको गिला ना हो गर, आ तुझे गले लगा लू
.......तुझको गले लगा लू II
1 comment:
Unknown
February 20, 2011 at 10:39 PM
vaah kaya khoob likha hai.
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vaah kaya khoob likha hai.
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