Friday, February 18, 2011

ज़न्नत

रहें "ज़न्नत" की नामुमकिन नहीं
     ढल जाये कभी, ये वो दिन नहीं I
मैं चाहूँगा हर पल में पाना उसे
    मैं पालूं उसे पर "तेरे बिन" नहीं II

मेरा सवेरा

ये वक़्त वही है
जो कल था
आज है
कल रहेगा
पर...
गुजरे वक़्त के भी अनेको रंग हैं
वक़्त पलों से बंधा है
और पल हमारी जिन्दगी से
पर...
ये जिन्दगी के पल भी हैं कितने अजीब
कभी इतना हँसाते हैं
की...
इन पलों में हमारी जिन्दगी
थम जाती है
और लगता है
काश...
ये वक़्त हमेशा हमारा साथ दे
पर...
कभी ये वक़्त हमें
करता है मजबूर
इतना की...
हँसने के पल बचते ही नहीं
और...
रोने के लिए कम पड़ते ही नहीं
पर...
फिर भी
दिल है
जो करता है
एक ऐसे वक़्त का इंतजार
जिसके पल हमें दे ऐसा सफ़र
जिस पल में रहे
अपनों के साथ
जिनका हर कदम रहे
हमारे कदम के साथ
ये वक़्त..
दे हमें एक ऐसा दोस्त
जिसके आने से
हो हर पल में ख़ुशी
एक ऐसा दोस्त
जो हमें समझे
सवारे उन पलों को
जो थे बेरंग
रंग भरे उन लम्हों में
जो जुड़ेंगे मेरे
आने वाले वक़्त में
वो वक़्त जो....
मैं यहाँ से दूर जाकर
बिताऊ एक नया सफ़र
उस पल में जोडू
उस वक़्त को
जिन पलों के बिना रहेगा
मेरा हर लम्हा अधूरा
उन पलों के जुड़ने से ही
होगा...
वक़्त का हँसता हुआ सवेरा
पर...
क्या पूरा होगा
मेरे इंतजार का ये पल
क्या मिलेगा वो पल ?
जिससे बनेगा वो लम्हा
और...
उससे बनेगा वो वक़्त का हँसता सवेरा
मेरा सवेरा
जो ना रहने देगा
मुझे..
अकेला,
उदास,
अधूरा,
तब...
ना बैठूंगी मैं अकेले उदास
होगा कोई मेरे भी साथ
पर...
क्या मिलेगा मुझे वो साथ
जिसकी है मुझको तलाश ...??!!

.. .ना हो I

हर इक सुबह की शाम ना हो,
कोई कही गुमनाम हो I
जो खुशियाँ चाहो हो जीवन में,
माथे पे शिकन निशान ना हो II

हों तारे की मुट्ठी बंद ना हो,
मेरे चाँद को कोई गैर पसंद ना हो I
मै छाऊं, आसमां बन जाऊं,
कहीं धड़कन मेरी मंद न हो II

मेरे प्यार का अर्पन दान ना हो,
तेरे चाह का मुझपे अहसान ना हो I
तू खुल क दिल से ख्वाहिस कर,
पर औरों  को इसका ज्ञान ना हो I

खुशियों का धूमिल रंग ना हो ,
चाहे कोई भी अपने संग ना हो I
तू चलना पग-पग छितिज तलक,
पर रहें मंजिल की तंग ना हो I

डर है सपनों का खंड ना हो ,
इस प्रीत का जीवन चाँद ना हो I
मैं पलकों पे सबकुछ सजा लूँ ,
कहीं नजरों का ताकना बंद ना हो I
............सांसो का चलना बंद ना हो....III

 
" दूसरे व्यक्ति की वास्तविकता उसमें नहीं है जो कुछ वह तुम पर व्यक्त करता है बल्कि उसमें है  जो कुछ वह तुम पर व्यक्त नहीं कर पता ...
  इसलिए यदि तुम उसे जानना चाहते हो तो उसकी उन सब बातो को न सुनो जो वह सुनाता है , बल्कि उन बातो को समझो जिन्हें वह नहीं कहता..II "

ख्वाहिश ..

जो टूटे....
जो बिखरे....
जो बने ना....
सिर्फ बिगड़े....
चलो उस रेत और हवा को मना लू ,

एक छोटा....
संग तेरे....
घर सपनो का....
उस रेत पे बना लू...
तुझको गिला ना हो गर, आ तुझे गले लगा लू
.......तुझको गले लगा लू II





Tuesday, February 8, 2011

बस तू ही तू

एक टक
  तेरी रह पे
एक रट
  तेरे नाम का
हर ख्याल
  तेरी याद में
हर नजर
  तेरे रूप को
हर कदम
  तेरे साथ को
हर सुबह
  तू साथ हो
हर शाम 
  तू पास हो
तेरे बिना
  ना जी लगे 
तेरी क़सम 
  तू ख़ास है
तू दूर है
  पर पास है
तू दूर जा
  तो मेरे साथ
तू पास आ
  तो मेरे पास
मै खफा
  नहीं - नहीं 
कोई खता
  ना हो कभी
तू जुदा
  ना हो कभी
इक नशा
  तरी नज़र
हर अदा पे
  तेरा असर
तू है तो
  खुश हूँ मै
जो तू नहीं
  तो कुछ हूँ मै
है सब जगह
  तनहाइयाँ
उफ़ ये क्या
  है हो गया
मै कहा
  हूँ खो गया
कोई मुझे
  बता सके
कि तू मुझे
  बचा सके
है तुमसे कुछ
  कहना मुझे
है तेरे संग
  रहना मुझे
कुछ तो कर
  तू कुछ तो कर
मेरे संग जी
  या संग मर
संग जी या संग मर..........